देहरादून-दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साहित्यिक मासिक ‘कविकुंभ’ ‘गंगा-जमुनी शब्दों की 68 पृष्ठीय रंगीन मासिक पत्रिका है। भिन्न सामग्री-संचयन, विशिष्ट पहचान के साथ ‘कविकुंभ’ के 29 अंक (अप्रैल 2019) अब तक पाठकों के अपने हो चुके हैं। ‘कविकुंभ’ न किसी कॉरपोरेट घराने से संरक्षित है, न इसके प्रकाशन का उद्देश्य निजी ख्याति अथवा महत्वाकांक्षा है। दिसंबर 2017 से देश के 24 राज्यों में हिंदी के सुधी सृजनधर्मियों, साहित्यानुरागियों में लोकप्रिय ‘कविकुंभ’ के मार्च 2017 में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रथम प्रकाशनोत्सव में असगर वजाहत, माहेश्वर तिवारी, जहीर कुरैशी, पद्मा सचदेव, अशोक चक्रधर, बालस्वरूप राही आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। ‘कविकुंभ’ में अब तक शब्दशः नरेश सक्सेना, डॉ. माहेश्वर तिवारी, अशोक वाजपेयी, नचिकेता, लीलाधर जगूड़ी, विष्णु नागर, पद्मा सचदेव, अनूप अशेष, राजेश जोशी, डॉ. शांति सुमन, राम सेंगर, असगर वजाहत, चंद्रसेन विराट, दिविक रमेश, गोपाल सिंह नेपाली, रामशरण जोशी, डॉ. जीवन सिंह, अष्टभुजा शुक्ल, प्रेम जनमेजय, जहीर कुरैशी, अश्वघोष, चंद्रकांत देवताले, बल्ली सिंह चीमा, नुसरत मेंहदी, रामकुमार कृषक, बुद्धिनाथ मिश्र, यश मालवीय आदि अनेकशः यशस्वी कवि-साहित्यकारों की गंभीर उपस्थिति रही है। आपके शब्द, आपका स्नेह, ‘कविकुंभ’ का संबल। पत्रिका के विशेष स्तंभ हैं- शब्द-संवाद (साक्षात्कार), शब्द-शिखर, शब्द-स्वर, शब्द-संस्थान, शब्द-समारोह, शब्द-प्रवास, शब्दाभास, शब्द-सिनेमा, शब्द-संकलन आदि। पत्रिका में आपकी भी रचनाओं का स्वागत है, साथ ही सहयोग की अपेक्षा भी। संकल्प है, हिंदी-उर्दू भाषा और साहित्य की समृद्धि के लिए यह गंगा-जमुनी शब्दाभियान इसी तरह अनवरत चलता रहे।